सर्वाइकल दर्द क्या है ?
हमारी गर्दन की हड्डी शरीर की सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली हड्डियों में से एक है और यह सिर के वजन को भी संभालती है। हालांकि, गर्दन बाकि की रीढ़ की हड्डी से कम सुरक्षित होती है इसीलिए उसे चोट लगने और अन्य विकार होने का खतरा अधिक होता है, जिससे दर्द होता है व गतिविधि करने में समस्या होती है।
कुछ लोगों का गर्दन में दर्द समय के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों को इसके लक्षण ठीक करने के लिए परीक्षण और इलाज की आवश्यकता होती है।
सर्वाइकल दर्द एक्सीडेंट, असामान्य मुद्रा (Posture) में रहने और ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) जैसे विकारों से हो सकता है। इसके परीक्षण के लिए पहले हुई बिमारियों की पूछताछ, शारीरिक जांच और अन्य इमेजिंग परीक्षण किए जाते हैं।
सर्वाइकल दर्द के इलाज के लिए आराम, ठन्डे या गर्म कपड़े से सिकाई, गर्दन को सीधा रखने के लिए उपयोग किए जाने वाला पट्टा (Collar), शारीरिक थेरेपी (अल्ट्रासाउंड, मसाज), कोर्टिसोन (Cortisone) या सुन्न करने वाले टीके, दवाओं और सर्जरी का उपयोग किया जाता है।
- सर्वाइकल दर्द के लक्षण – Cervical Pain Symptoms in Hindi
- सर्वाइकल दर्द के कारण और जोखिम कारक – Cervical Pain Causes & Risk Factors in Hindi
- सर्वाइकल दर्द से बचाव – Prevention of Cervical Pain in Hindi
- सर्वाइकल दर्द का परीक्षण – Diagnosis of Cervical Pain in Hindi
- सर्वाइकल दर्द का इलाज – Cervical Pain Treatment in Hindi
सर्वाइकल दर्द के लक्षण – Cervical Pain Symptoms in Hindi
सर्वाइकल दर्द के लक्षण क्या होते हैं ?
सर्वाइकल दर्द के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –
- कंधे में दर्द, पीठ के ऊपरी भाग या गर्दन में दर्द
- गर्दन के आसपास मांसपेशियों में अकड़न (और पढ़ें – गर्दन में अकड़न के घरेलु उपाय)
- ऐंठन
- दर्द का कंधों और पीठ के ऊपरी भाग में फैलना
- सिरदर्द
- गर्दन हिलाने से दर्द का बढ़ना, खासकर गर्दन, कन्धों और पीठ के ऊपरी भाग में
- थकान
- हाथ में दर्द होना, सुन्न होना या कमजोरी महसूस होना (और पढ़ें – मांसपेशियों में दर्द)
- बोलने, लिखने, चलने और निगलने में कठिनाई
सर्वाइकल दर्द के कुछ असामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं –
- सिरदर्द (और पढ़ें – सिरदर्द के घरेलू उपाय)
- चक्कर आना
- मतली
- धुंधला दिखना (और पढ़ें – आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय)
- बुखार
- सोते समय अधिक पसीना आना (और पढ़ें – ज्यादा पसीना आना रोकने के घरेलु उपाय)
- बिना किसी वजह वजन कम होना (और पढ़ें – वजन कम करने के उपाय)
अगर आप निम्नलिखित लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं क्योंकि यह किसी गंभीर समस्या के लक्षण हो सकते हैं –
- कंधे या बांह की निचली तरफ तेज़ दर्द (और पढ़ें – कलाई में दर्द)
- बांह या हाथों का सुन्न होना या उनमें ताकत न रहना
- सामान्य रूप से मल या मूत्र न कर पाना (और पढ़ें – पेशाब में दर्द और जलन)
- अपनी ठोड़ी को छाती से न लगा पाना (और पढ़ें – डबल चिन हटाएँ)
- लगातार दर्द होना
- बहुत तेज़ दर्द होना
- दर्द का हाथों व पैरों तक फैलना
- गर्दन में दर्द के साथ सिरदर्द होना, सुन्न होना, झुनझुनी होना या कमजोरी महसूस होना (और पढ़ें – कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
सर्वाइकल दर्द के कारण और जोखिम कारक – Cervical Pain Causes & Risk Factors in Hindi
सर्वाइकल दर्द क्यों होता है ?
सर्वाइकल दर्द के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
- चोट और एक्सीडेंट
दुर्घटना के समय गर्दन में झटका लगने से गर्दन सामान्य से अधिक मुड़ जाती है, जिससे उसकी मांसपेशियों और ऊतकों पर प्रभाव पड़ता है। इससे मासपेशियां कस्ती व सिकुड़ती हैं, जिससे उनमें दर्द और अकड़न हो जाती है। (और पढ़ें – चोट की सूजन के घरेलु उपाय)
- उम्र
ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ), “स्पाइनल स्टेनोसिस” (Spinal stenosis: रीढ़ की हड्डी के अंदर की जगह का सिकुड़ना, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है) और “डिजेनेरेटिव डिस्क”(Degenerative disc: एक ऐसी समस्या जिसमें गर्दन की हड्डियों के बीच मौजूद डिस्क में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है) उम्र के साथ होने वाली बीमारियां हैं जिनसे रीढ़ की हड्डी पर प्रभाव पड़ता है।
- अन्य कारण
गलत पोजीशन (मुद्रा) में बैठना, मोटापा और पेट की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण रीढ़ की हड्डी का संतुलन खराब होता है, जिसे सही करने के लिए गर्दन आगे की तरफ झुक जाती है और इससे सर्वाइकल दर्द हो सकता है।
हालांकि, सर्वाइकल दर्द अधिकतर मोच के कारण होता है, लेकिन ज़्यादा देर तक दर्द रहना या/और शरीर के किसी भाग का सही से काम न कर पाना किसी गंभीर समस्या का लक्षण हो सकता है।
सर्वाइकल दर्द होने की सम्भावना किन वजहों से बढ़ जाती है?
सर्वाइकल दर्द के निम्नलिखित जोखिम कारक हो सकते हैं –
- गलत तरीके से सोने, बैठने या खड़े होने के कारण के कारण गर्दन का अकड़ जाना
- किसी नस पर अधिक दबाव के कारण उसे नुकसान होना (और पढ़ें – नसों में दर्द के घरेलू उपाय)
- शारीरिक तनाव (स्ट्रेस) या भावनात्मक तनाव से मांसपेशियों में खिंचाव और सिकुड़न हो सकती है, जिससे दर्द व अकड़न होते हैं
- रीढ़ की हड्डी का संक्रमण
- रीढ़ की हड्डी पर दबाव
- ट्यूमर (और पढ़ें – ब्रेन ट्यूमर)
- फ्रैक्चर
- सिर की चोट
सर्वाइकल दर्द से बचाव – Prevention of Cervical Pain in Hindi
सर्वाइकल दर्द होने से कैसे बचा जा सकता है ?
सर्वाइकल दर्द से बचने का सबसे मुख्य तरीका है गर्दन को चोट लगने से बचाना। इसके लिए खेल के दौरान चोट लगने के जोखिम को कम करें।
अगर आपको गर्दन में हल्का दर्द या अकड़न है, तो स्थिति और खराब होने से रोकने के लिए निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करें –
- शुरूआती कुछ दिनों के लिए गर्दन पर बर्फ लगाएं और उसके बाद हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें या गर्म पानी से नहाएं।
- दर्द-निवारक दवाएं खाएं।
- कुछ दिनों के लिए न खेलें और वजन उठाने व लक्षणों को बढ़ाने वाले अन्य काम न करें। लक्षणों के ठीक होने के बाद धीरे-धीरे अपने सामान्य काम करना शुरू करें।
- रोज़ाना गर्दन के लिए व्यायाम करें, गर्दन को एक दिशा से दूसरी दिशा और ऊपर नीचे घुमाएं।
- फ़ोन को गर्दन व सिर के बीच रखकर बात न करें।
- लम्बे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने और खड़े होने से बचें।
- गर्दन की हलकी मसाज लें।
- सर्वाइकल दर्द से पीड़ित लोगों के लिए खास तकिए आते हैं, सोने के लिए उनका उपयोग करें। (और पढ़ें – सोने की सही दिशा गर्दन में दर्द होने पर)
गर्दन को सीधा रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले पट्टे का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए न करें। अगर आप उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं करते, तो आपके लक्षण और बिगड़ सकते हैं।
सर्वाइकल दर्द का परीक्षण – Diagnosis of Cervical Pain in Hindi
सर्वाइकल दर्द का परीक्षण कैसे होता है ?
सर्वाइकल दर्द का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे। जैसे – लक्षण कब शुरू हुए, उनकी तीव्रता कितनी है और क्या करने से आपके लक्षण बढ़ जाते हैं।
आपकी बांह व हाथों की ताकत, गतिविधि करने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता को देखने के लिए आपका तंत्रिका सम्बन्धी परीक्षण (Neurological exam) किया जाएगा।
गर्दन की जांच उसको स्थिर रखकर व थोड़ा हिलाकर की जाती है। डॉक्टर इस बात की भी जाँच करते हैं कि गर्दन में कहीं छूने से आपको दर्द होता है या नहीं। साथ ही तंत्रिका तंत्र (Nervous system) की जांच भी की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि कोई नस प्रभावित हुई है या नहीं।
(और पढ़ें – वैरिकोज वेन्स)
सर्वाइकल दर्द के लिए निम्नलिखित इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं जिनसे आपके डॉक्टर को इसका कारण पता चलता है –
- एक्स रे
- एमआरआई स्कैन (MRI)
- सीटी स्कैन (CT scan)
अन्य टेस्ट –
- हड्डियों का स्कैन (Bone scan: हड्डियों की समस्याओं की जांच करने के लिए परीक्षण)
- इलेक्ट्रोमायोग्राफी (Electromyography: मांसपेशियों के स्वास्थ की जांच करने के लिए परीक्षण)
- नर्व कंडक्टिव वेलोसिटी टेस्ट (NCV: तंत्रिकाओं के नुकसान और रोग की जांच करने का परीक्षण)
- लम्बर पंक्चर (Lumbar puncture) या स्पाइनल टैप टेस्ट (Spinal tap)
सर्वाइकल दर्द का इलाज – Cervical Pain Treatment in Hindi
सर्वाइकल दर्द का उपचार कैसे होता है ?
सर्वाइकल दर्द का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है –
सर्वाइकल दर्द ज़्यादातर मोच या मरोड़ के कारण होता है, इसीलिए केमिस्ट के पास मिलने वाली दवाएं और सूजन कम करने वाली दवाएं दर्द को ठीक करने के लिए प्रभावी होती हैं। हालांकि, सर्वाइकल दर्द के कुछ मामले रीढ़ की हड्डी की समस्याओं के कारण भी होते हैं जिनसे लगातार दर्द होता है। इन मामलों के लिए डॉक्टर से उपचार लेने की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें – रीढ़ की हड्डी में चोट)
स्लिप डिस्क या बोन स्पर (Bone Spur: हड्डी का एक नोकीला उभार) के कारण होने वाले सर्वाइकल दर्द के उपचार के लिए सर्जरी की जा सकती है। लेकिन इससे पहले डॉक्टर आपको कुछ अन्य कम गंभीर उपचार करने को कहेंगे, जैसे कुछ ख़ास इंजेक्शन लगाना या मसाज थेरेपी करवाना। इन उपचार को डॉक्टर “कंज़र्वेटिव उपचार” (Conservative treatment) कहते हैं।
कंज़र्वेटिव उपचार के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं –
- ठन्डे या गर्म कपडे से सिकाई
- व्यायाम व फिज़िओथेरपी (Physical therapy)
- गलत आदतें सुधारना
- डॉक्टर द्वारा लिखी गई दर्द निवारक दवाएं
- कोर्टीसोन (Cortisone: एक तरह की स्टेरॉयड दवा) के टीके
- अन्य उपचार –
- एक्युपंक्चर (Acupuncture)
- कीरोप्रैक्टिक उपचार (Chiropractic treatment: रीढ़ की हड्डी को मसाज करके ठीक करने की एक प्रक्रिया)
- मसाज (और पढ़ें – बॉडी मसाज)
अगर कंज़र्वेटिव उपचार से कुछ हफ़्तों या महीनों तक आपको कोई सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
सर्जरी
गर्दन की सर्जरी में अधिक चीरे लगाने व त्वचा को काटने की आवश्यकता होती है (Invasive Surgery) जिसके लिए व्यक्ति दो से पांच दिन अस्पताल में रहता है और सर्जरी के बाद उसे ठीक होने में छः महीने से एक साल तक का समय लग जाता है।
इस सर्जरी में अधिक खतरा होता है, इसीलिए अधिकतर लोग इस सर्जरी को कराने से हिचकिचाते हैं।