न्यूरोथैरेपी उपचार से घुटना रिप्लेसमेंट रोकना सम्भव : आचार्य दीक्षित
राजकोट प्रणामी समाज द्वारा आयोजित न्यूरोथैरेपी उपचार शिविर में हुआ 300 रोगियों का सफल इलाज ।
डिलीवरी के समय हुई चूक से आता है महिलाओं में गठिया व घुटना दर्द : आचार्य दीक्षित
न्यूरोथैरेपी उपचार से बिना दवा व कुप्रभाव के 70% से अधिक रोगियों के घुटना रिप्लेसमेंट को रोकना सम्भव है। हमारी माता बहनों के घुटना व जोड़ों के दर्द का बड़ा कारण उनके डिलीवरी के समय हुई लापरवाही ही है । यह बात 25 दिसम्बर शनिवार को प्रणामी समाज राजकोट द्वारा आयोजित 2 दिवसीय न्यूरोथैरेपी उपचार शिविर के उद्घाटन सत्र के दौरान दिल्ली से पधारे राष्ट्रपति के पूर्व न्यूरोथैरेपी चिकित्सा सलाहकार व आरोग्यपीठ के अध्यक्ष आचार्य रामगोपाल दीक्षित ने कही । उन्होंने कहा कि घुटना व जोड़ दर्द आज देश में भयंकर महामारी का रूप लेते जा रहे हैं। आज कोई भी घर इससे अछूता नहीं, युवतियाँ भी पीड़ित है, इसलिए इसके आने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है। आचार्य दीक्षित ने कहा कि स्त्री के प्रसव काल के पहले 5-10 दिन बहुत ही सावधानी के होते है। इस दौरान शरीर में विशेष ढाँचागत रासायनिक व हॉर्मोनल बदलाव बड़ी तेज़ी से हो रहे होते है। इस दौरान किसी भी प्रकार से AC, पंखा, कूलर या बाहर की हवा या किसी भी प्रकार के ठंडे व खट्टे पदार्थ का सेवन, ठंडे पानी या वातावरण का स्पर्श उस प्रक्रिया को अवरुद्ध कर देता है । जिसका परिणाम वह प्रक्रिया शरीर के विरुद्ध खड़ी हो अपने ही शरीर से लड़ने लग जाती है । इसे वैदिक भाषा में ‘प्रसूति रोग’ कहते है । इसमें जोड़ों में सूजन, जोड़ व कमरदर्द, सरदर्द आदि व्याधियाँ आने लगती है, जो मरते दम तक ठीक नहीं होती, अपितु बढ़ती रहती है । शेष सारा जीवन असहाय व अपाहिज जैसा बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा आज दुर्भाग्य से सभी महिलाएँ घर पर प्रसव न करा कर अस्पताल में ही कराती है तथा अज्ञानतावश अस्पताल सभी रोगियों की तरह इनको भी वही AC का या पंखे का वातावरण देता है, आवश्यकतानुसार ड्रिप भी लगा देता है। यही महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारी का कारण बन जाता है जिसका अस्पताल को तनिक भी अनुमान व ज्ञान नहीं होता । उन्होंने कहा क़ि इसके लिए सामाजिक जागरूकता की बहुत आवश्यकता है, अन्यथा यह छोटी सी लापरवाही एक भयंकर महामारी का रूप धारण कर देश के आर्थिक व आरोग्य की बर्बादी का कारण बन जाएगी ।