आजकल के मौसम में वायरल फीवर सबसे मुख्य बीमारी है, जो एक साथ कई लोगों को प्रभावित करती है। आप अपने चारों तरफ अनेक लोगों को खांसते या छींकते देख रहे हैं। स्कूलों में और ऑफिस में अनुपस्थित होने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई है। वायरल फीवर या फ्लू इंफ्लूएन्जा वायरस से होने वाली एक बीमारी है। यह आमतौर पर हमारे श्वास तंत्र को प्रभावित करती है। अनेक लोगों को बार-वार वाइरल या फ्लू इसलिए होता है, क्योंकि वाइरस समय-समय पर ‘म्यूटेशन’ करता रहता है। सहज शब्दों में कहें, तो वाइरस अपना स्वभाव व शक्ल बदला करता है।1
क्या हैं इसके कारण
तवाइरस दूषित हवा या दूषित वस्तुओं के कारण फैलता है। जब कोई बीमार व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो वाइरस ड्रापलेट हवा में फैल जाते हैं और आस-पास के व्यक्ति जब सांस लेते हैं, तो उनको भी बीमारी फैलाने वाले वाइरस प्रभावित कर देते हैं। इसके अलावा जब बीमार व्यक्ति अपनी नाक या मुंह साफ करके अगर अपने हाथ नहींधोता और मेज, कुर्सी, फोन, कंप्यूटर, दरवाजा आदि को छू लेता है, तो वे चीजें भी वाइरस के कैरियर (वाहक) बन जाती हैं और इन्हें छूने से भी बीमारी फैल जाती है।
वायरल फीवर के लक्षण
- खांसी, जुकाम और नाक बहना।
- -ुखार, जो कभी-कभी 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा भी हो सकता है।
- सिर दर्द।
- बदन दर्द।
- गले में दर्द।
- खाने में तकलीफ।
- ठंड लगना और थकान महसूस होना।
- वायरल फीवर के बचाव
- बीमार व्यक्ति घर पर आराम करें।
- भीड़ भरी जगहों पर न जाएं।
- खांसते व छींकते वक्त मुंह को ढक कर रखें।
- हाथों को साफ रखें। समय-समय पर धोएं या फिर हैंड सैनीटाइजर का इस्तेमाल करें।